Richa Goswami

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लेखनी कविता -09-Mar-2022 आमदनी

आमदनी


घर की फिक्र में खुद की थकान भूल गए
अरे जनाब , पापी पेट का सवाल है
वरना झुलसती गर्मी में क्यूं तपाए खुद को
बोझा ढो कर , जख्मी पैरो पर मलहम का ख्याल भी नहीं
कल आमदनी आने वाली है 
इसी खुशी में अपना दर्द भी भुलाए 

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2 Comments

Lotus🙂

10-Mar-2022 01:06 PM

Nice

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Gunjan Kamal

09-Mar-2022 01:47 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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